google.com, pub-9220471781781135, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Explore With Joy: July 2018

Wednesday, July 25, 2018

Danveer Karna


दानवीर कर्ण (Danveer Karna)
A Story in Hindi

एक बार श्री कृष्ण भरी सभा में कर्ण की दानवीरता की प्रशंशा कर रहे थे| अर्जुन भी उस समय सभा में उपस्थित थे, वे कृष्ण द्वारा कर्ण की दानवीरता की प्रशंशा को सहन नहीं कर पा रहे थे| भगवान् कृष्ण ने अर्जुन की और देखा और पल भर में ही अर्जुन के मनोभाव जान लिए| श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्ण की दानशीलता का ज्ञान कराने का निश्चय किया|

कुछ ही दिनों बाद नगर में एक ब्राह्मण की पत्नी का देवलोक गमन हो गया| ब्राह्मण अर्जुन के महल में गया और अर्जुन से विनती करते हुए कहा – “धनंजय! मेरी पत्नी मर गई है, उसने मरते हुए अपनी आखरी इच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि मेरा दाह संस्कार चन्दन की लकड़ियों से ही करना, इसलिए क्या आप मुझे चन्दन की लकड़ियाँ दे सकते हैं?

ब्रम्हां की बात सुनकर अर्जुन ने कहा – “क्यों नहीं?” और अर्जुन ने तत्काल कोषाध्यक्ष को तुरंत पच्चीस मन चन्दन की लकड़ियाँ लेन की आगया दे दी, परन्तु उस दिन ना तो भंडार में और ना ही बाज़ार में चन्दन की लकड़ियाँ उपस्थित थी| कोषाध्यक्ष ने आकर अर्जुन को सारी व्यथा सुने और अर्जुन के समक्ष चन्दन की लकड़ियाँ ना होने की असमर्थता व्यक्त की|अर्जुन ने भी ब्राह्मण को अपनी लाचारी बता करखली हाथ वापस भेज दिया|

ब्राह्मण अब कर्ण के महल में पहुंचा और कर्ण से अपनी पत्नी की आखरी इच्छा के अनुरूप चन्दन की लकड़ियों की मांग की| कर्ण के समक्ष भी वही स्थति थी, ना तो महल में और ना ही बाज़ार में कहीं चन्दन की लकड़ियाँ उपस्थित थी| परन्तु कर्ण ने तुरंत अपने कोषाध्यक्ष को महल में लगे चन्दन के खम्भे निकाल कर ब्राह्मण को देने की आगया दे दी| चन्दन की लकड़ियाँ लेकर ब्राह्मण चला गया और अपनी पत्नी का दाह संस्कार संपन्न किया|

शाम को जब श्री कृष्ण और अर्जुन टहलने के लिए निकले| देखा तो वही ब्राह्मण शमशान पर कीर्तन कर रहा है| जिज्ञासावश जब अर्जुन ने ब्राह्मण से पुचा तो ब्र